महाश्रमणी अष्टकम
जन्मस्थली लषति लाडनुपुण्य भूमि,
बैदः कुलं समुदितं मनितं पवित्रम्।
तातस्तु सूरजमलो जनयित्री छोटी,
साध्वी शिरोमणि महाश्रमणी प्रमुख्या।।
(कांता कृपारसमृता कनकप्रभाऽस्ति।।)
(विख्यातविश्वजननी कनकप्रभाऽस्ति।।)
नाम्ना कला करकलामयजीवन च,
कर्त्तृत्त्वकौशलमहो कमनीयमग्र्यम्।
व्यक्तित्त्ववैभवमल्पमनुत्तर च,
साध्वी शिरोमणिमहाश्रमणी प्रमुख्या।।
बाल्येऽपि या स्थिरमना ननु जागरूका,
मान्या मता मृदुवचा मधुरस्वभावा।
भाग्यान्विता श्रमयुता विशदा विशिष्टा,
साध्वी शिरोमणिमहाश्रमणी प्रमुख्या।।
स्वान्ताश्रये समुदितोऽपि विरागभावः,
दीक्षा श्रितार्यतुलसी गणिनः समीपे।
तेरापथद्विशतवत्सरपुण्य वारे,
साध्वीशिरोमणि महाश्रमणी प्रमुख्या।।
आराध्यदृष्टिमाखिलामनुपाल्य नित्यं,
आराध्यचित्तसदने विहितो निवासः।
आराध्यपाद युग पूर्ण समर्पितात्मा,
साध्वी शिरोमणिमहाश्रमणी प्रमुख्या।।
पुष्टा सदा गुरुकृपामृतपोषणेन,
शिष्टा स्वयं सुनिपुणात्मिकशासनेन।
जुष्टा तथा सकलसद्गुण संचयेन,
साध्वी शिरोमणिमहाश्रमणी प्रमुख्या।।
लीना निजात्मनि तथा व्यवहारदक्षा,
स्नेहान्विताऽपि कुशला त्वमुशासने च।
स्थित्वा विकासशिखरेऽपि नता गभीरा,
साध्वी शिरोमणिमहाश्रमणी प्रमुख्या।।
दुर्गास्ति या विमलदुर्लभ शक्तिरूपा,
लक्ष्मीर्वरा सकलवा िछतासिद्धिरूपा।
बाह्मीव भाति शुभशास्त्रनिधिस्वरूपा,
साध्वी शिरोमणिमहाश्रमणी प्रमुख्या।।