साध्वीप्रमुखाश्रीजी के प्रति भाव पुष्पांजलि
कनकप्रभाजी स्वर्णप्रभा सी
यथा नाम तथा गुणवती सी
संयम संग मर्यादित जीवन
तेज पुंज सा सुरभित मन
आलोकित कर तेरापंथ उपवन
आचार्य त्रय संग समर्पण
निज पर शासन फिर अनुशासन
तुलसी गणी का युगीन चयन
महाप्रज्ञ से महामनस्वी के
चिन्तन मनन का अनुवर्तन
वर्तमान आचार्य को किया नमन
महाश्रमण को सहस्वर वंदन
निज परित्याग, पंथ पथ दर्शन
पद यात्रा कर श्रमित देह कण
अवियव सत को शत-शत वन्दन
दीर्घ युग का तेरापंथ में
पटाक्षेप सा है परिवर्तन
मातृ शक्ति तेरापंथ माता
प्रभु पथ में निर्वाण सघन
जन-जन करता है अभिनंदन