शासनमाता सुखदाता
शासनमाता सुखदाता मां यादे उदयायी
स्नेहिल सिंचन पाने को ये कलिया उकलायी
किन अणुओं से जननी ने निर्माण किया तेरा
मातृ ह्नदया ने पलपल, निज करूणा बरसाई।
ओजस्वी पलकें खोली, सावन कृष्णा तेरस
सावन की रिमझिम बरसा, पा धरणी हरसायी।
कला को प्रभु तुलसी ने, सुन्दर आकार दिया
गुरु महाप्रज्ञ सुखसाया, महाश्रमण महर पायी।
अनुत्तर संयम समता, ममता की मूरत थी।
पौष्टिक संपोषण देकर, गण बगिया विकसायी
शुभंकर व्यक्तित्व तुम्हारा, तेजस्वी कर्तृत्व
नेतृत्व निराला तेरा, लख जनता चकरायी।
गुरु निष्ठा गण निष्ठा श्रम निष्ठा अनुपम थी
गुरु चरण शरण में ही, अन्तिम सांसे मनयायी।
पग-पग पर रक्षा करना, ईठा पीड.ा हरना
मंत्राक्षर नाम तुम्हारा, तू अद्भुत शक्तिदायी।।
तर्ज: प्रभु पार्श्व देव