हम भूल ना पाएं
शासनमाता! शासनमाता गए कहां? गए कहां?
हमें छोड. के मुंह मोड. के।
यादें रह- रह आए, हम भूल ना पाएं
भूल ना पाएं, कैसे दिल को समझाएं ---
कोलकाता की पुण्य धरा पे, जन्म लिया
सद्संस्कारित जीवन, चन्देरी में किया।
तेरापंथ उद्गम स्थल में, संयम पाया।
यक्षदेव ने तुलसी को, संकेत दिया।
बहन कला ये देगी, लंबी सेवाएं--
कार्यकुशलता और सुघड.ता, थी अनुपम
गुरु आज्ञा, मर्यादा निष्ठा, थी उत्तम।
विनय, समर्पण, सेवा, समता का संगम।
रहता गण हित चिंतन तेरा, सुंदरतम।
तव पुरूषार्थ की गाथा का पाठ पढ.ाएं---
पाई जिसने भी सन्निधि वो, बना दीवाना।
इन नयों का जादू ही सबने माना।
बात-बात में संस्कारों के, घट भरते।
जीने का गुर पाकर लाखों, सिर झुकते।
तब उपकारों से क्या? उऋण हो पाएं ना हो पाए-----
भूल चूक में अनुशासन था, नंबर वन।
दे वात्सल्य पुनः भरते थे, नव पुलकन।
दे आकार सलौना तुमने, रूप निखारा।
गणीवर को नाज है तुम पर बहुमान दिराएं।
पुण्याई से गुरुत्रय का, सानिध्य मिला।
जीवन शतदल हरपल पर तेरा खिला-खिला।
उग्र बिहारी महाश्रमण ने साथ दिया।
अंतिम आराधना करवाकर तार दिया।
श्रद्धांजलि में आस्था सुमन चढ.ाएं।
सुमन चढ.ाएं शीश झुकाएं -----
तर्ज: परदेसी परदेसी