शासनमाता है सुखदाता जन-मन
युगप्रधान गुरु तुलसी कर स्युं, मानस जीवन पायो रे
कलापूर्ण जीवन जीयो, सबने समझायो रे
त्रय आचार्यों री सेवा कर, गण रो सुयश बढ़ाओ रे
नई ऋचांग लिखकर नव, इतिहास बणायो रे।।
साहित्य संपदा देख-देख कर, विद्वत जन चकरावे रे
काव्यधारा रो अक्षर-अक्षर, अमृत बरसावे रे।।
असधारण महाश्रमणी रो, शुभ संबोधन पायो रे
संघ महानिर्देशिका बन, शासन महकायो रे।।
चंदेरी री चंदनी आ, जग में आलोक फैलायो रे
अमृत महोत्सव रे शुभ अवसर, गण उत्सव धायो रे।।
दीपशिखा बन युग-युग तक, जन-जन ने मार्ग दिखायो रे
होली पावस पर अनशन कर, जीवन सफल बणायो रे।।
लय: होली आई रे---