साध्वी करुणाश्री जी के प्रति भावांजलियाँ

साध्वी करुणाश्री जी के प्रति भावांजलियाँ

अर्हम्

साध्वी मर्यादाप्रभा

स्नेह मिला मुझको जो इतना भूल कभी क्या उसको पाऊँ।
सेवा का अवसर मन भावन, मैं अपना सौभाग्य सजाऊँ॥

तन में प्रबल वेदना किंतु,
मन में अजब गजब की समता,
हरी भरी रहती मैं हरदम,
पाकर माँ की सी वह ममता,
नहीं थकान का अनुभव किंचित्, दिन हो चाहे रात जगाऊँ॥

भिक्षु प्रगट्या ढाल शुभंकर,
सुना सदा लोगस्स का जाप,
दाएँ-बाएँ पास तुम्हारे,
किंतु कभी ना आई धाप,
मुस्कान भरी वो मोहक माया, बोलो कैसे फिर से पाऊँ?

शासन गौरव की शुभ सन्‍निधि,
अपने ही घर सा अहसास,
जीवन के अनमोल सुखद पल,
पूर्ण हुई है मन की आस,
मिले यही वरदान प्रतिपल, प्रगति पथ पर बढ़ती जाऊँ॥

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