आज बधाई है
युग प्रधान श्री महाश्रमण को, आज बधाई है
श्रद्धा की रंगोली सजा, कलियां हरसाई है।
मां नेमा किस्मत वाली,, गण में दिवाली है
इन्द्र करे अभिषेक, अतिशय गौरवशाली है
झुमर कुल के ओ उजियारे, हद पुष्याई है।
तेजस्वी आभामंडल से, नव आलोक लुटाएं
प्रज्ञा के मिरनार चढ.े, आशीर्वर हम पाएं
साम्य योग के शिखर पुरुष, महिमा महकाई है।
मंगलमय तेरी शरण, प्रतिपल बढ.ते जाएं
पॉवर हाऊस की ऊर्जा से, ऊर्जास्वर बन जाएं
ज्योतिर्धर तव शुभ्रवलय, छलके अरूणाई है।।
दो पैसे से नापा भारत, चरण-चरण मंगल
चरण शरण में जो भी आए, मिलता नव संकल
त्रयी संकल्पों की सुर सरिता, जग में बहाई है।
शासनमाता ने युग प्रधान का, अलंकरण नवाजा
जुग-जुग-जीओ-ज्योति चरण, महाश्रमण है गणराज
दशो दिशाएं हर्ष बिछाएं, मलय बहारें आई है।
श्रद्धा-विनय-समर्पण श्रम से, कीर्ति फैली सवाई है।
गुंज रही यश गौरव गाथा, मधुर शहनाई है।।