महाकीर्तिधर महाश्रमण
महाकीर्तिधर महाश्रमण करते चरणों में वंदन
लेकर श्रद्धा का चंदन युगप्रधान का अभिनंदन।
ज्योतिचरण को ऽऽऽ आज बधाएं रे -----।।
शिशु वय में संयम धारा मां नेमा का उजियारा
जन्मभूमि सरदारशहर मोहन-मुदित बना प्यारा।
विनय-समर्पण पहचान बनाएं रे-----।।
जिनशासन की शान हो जन-जन के भगवान हो
भैक्षवगण के मुकुटमणि संस्कृति के सम्मान हो।
करुणा के सागर ऽऽऽ करुणा बरसाएं रे---- ।।
जन्मोत्सव दिन आया है, खुशियां भर-भर लाया है
पटोत्सव दिन आया है, अन-जन मन हरसाया है।
त्रिभुवन सितारे ऽऽऽ यश घुंघरु बजाएं रे----।।
युगों तक शासना मिलती रहें यह भावना
युगप्रधान का यह उत्सव करते हैं शुभकामना।
मंगल बेला में ऽऽऽ नव दीप जलाएं रे----।।
तर्ज खुशियों के नव--