युगप्रधान गुरुदेव के चरणों में हार्दिक नमन
भैक्षव शासन को मिले, सक्षम वर आचार्य।
सभी अचंभित देखकर, उनके अनुपम कार्य।।
श्री तुलसी महाप्रज्ञ व, महाश्रमण गण ईश।
युगप्रधान तीनों बनें, सदा नमायें शीश।।
महाश्रमण गुरुदेव को, वंदन शत-शत बार।
कदम कदम पर सुन रहे, मुख मुख जय-जयकार।।
तेरापंथ समाज को होता सात्त्विक नाज।
बड़े भाग्य से हैं मिले, महाश्रमण गण ताज।।
विघ्न विनाशक सुगुरु का, स्मरण करो दिन रात।
सघन अंधेरे में सहज, होगा स्वर्ण प्रभात।।
पाप भीरु गुरुदेव का, प्रतिपल ध्यायें ध्यान।
गुरु दृष्टि आराधकर, करें आत्म कल्याण।।
सुख इच्छुक मत भूलना, गुरुवर का उपकार।
प्राप्त करोगे सफलता, होगा आत्मोद्धार।।
सरदारशहर में है खिला, उत्सव का नव रंग।
पुण्याई गुरुदेव की, देख सभी हैं दंग।।
चारतीर्थ का सुगुरू ने, ह्नदय लिया है जीत।
प्रमुदित मन हम गा रहे, मिलजुल मंगलगीत।।
युगों-युगों तक आपका, पाकर आशीर्वाद।
बढ़ें साधना में सतत्, हम सारे निर्बाद।।
करुणा सागर के करुं, ह्नदय खोल गुणगान।
युग प्रधान गुरुदेव का, है उपकार महान।।