जन्मोत्सव: पट्टोत्सव: षष्टीपूर्ति जय महाश्रमण गुरुदेव
जन्मोत्सव आज मनाएं रे, महाश्रमण गुरुराज,
पटोत्सव आज मनाएं रे, महाश्रमण गुरुराज।
भावों का थाल सजाएं रे, महाश्रमण गुरुराज।।
नेमा के लाल दुलारे, दुगड. कुल के उजियारे।
चरणों में शीष झुकायें रे----।
शासन के दिव्य दिवाकर, करुणा के तुम हो सागर
सपने साकार बनाएं रे----।
पौरुष की प्रखर निशानी, जीवन की अकथ कहानी।
षष्ठीपूर्ति रंग लाये रे---- ।
सबके हो नयन सितारे, चमको बनकर ध्रुवतारे।
गण-गुलशन को महाकाएं रे----।
अर्हत् वङ्मय व्याख्याता, जन-जन के तुम हो त्राता।
युगप्रधान कहलाएं रे-----।
युग-युग जीओ गणमाली, शासन है गौरवशाली।
तपोभूमि हरसाएं रे----।
तर्ज: महाप्राण गुरुदेव...