शासनश्री साध्वी गुणमाला जी के प्रति
संघर्षों की घाटियाँ, करके सारी पार।
भिक्षु शासन में किया, संयम पथ स्वीकार।
संयम पथ स्वीकार, खुला किस्मत का ताला।
शासन गौरव किस्तूरां ने, बालक ज्यूं संभाला।
अवसर को पहचान कर पचख लिया संथार।
संघर्षों की घाटियाँ, करके सारी पार।।
शासनश्री गुणमाला ने, गुण के फूल बटोर।
तन की ममता त्यागकर, बढ़ी लक्ष्य की ओर।
बढ़ी लक्ष्य की ओर, नहीं किंचित घबराई।
गुरु किरपा की बूँदों ने, मंजिल दिलाई।
जला आत्मबल का दीया, दिखी सामने भोर।
शासनश्री गुणमाला ने, गुण के फूल बटोर।।
तलेसरा तनुजा तरो, भव का पारावार।
मिले योग अनुकूल सब, हुई न देर लिगार।
हुई न देर लिगार, बनाया संप्रेरक इतिहास।
दिव्य लोक से कौन सा, खड़ा आपके पास।
वीर धरा की वीर सति, वंदन बारंबार।
तलेसरा तनुजा तरो, भव का पारावार।।