साध्वी कमलप्रभा जी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार
अर्हम्
शासनश्री मुनि मणिलाल
कमलप्रभा कमल ज्यूं, खिली रही दिन रेन।
हंसणि जीवन जीतियो, मधुरी-मधुरी वेन॥
‘सागर मुनि’ भगिनि सुघड़ राख्यो विनय-विवेक।
निर्मल-कमल-नरपत की राखी साची टेक॥
बैद सुखी परिवार में, धन-दौलत को छोड़।
संयम पथ में बढ़ रही, माया स्यूं मुँह मोड़॥
मणि-मुनि स्यूं भी राखनी, माँ-बहन सो प्यार।
आज अचानक कै करयो, छोड़ चली मझधार॥
गुरु दर्शन की ले गई, मन की मन में जाण।
स्वर्गा स्यूं दर्शन करो, हो जीवन कल्याण॥
संयम स्यूं आग बढ़ो, लो मुक्ति सोपान।
मुनि-मणि भाव भावना, शुद्ध स्वरूप सुजान॥
सिरीयारी में तीन दिन, रह्या सुखद संतोष।
गुरु आज्ञा पर राखता, अपणो जीवन झोस॥
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