आभा तेरी है आकर्षक

आभा तेरी है आकर्षक

तुम शक्तिधाम हो, तुम तीर्थधाम हो, हर दिल के राम हो, गुरुवर मेरे
अखिलेश्वर हो, ज्ञानेश्वर हो, प्रणेश्वर हो, गुरुवर मेरे
हे युगप्रधान, हे शासनस्वामी, स्वीकारो तुम अभिनंदन।
जय ज्योतिचरण, जय महाश्रमण

अनुशासन के प्रबल पुजारी, महायशस्वी महाधृतिधारी
अतिशयधारी आत्मविहारी
समतायोगी, दृढ़आचारी, जन-जन के हो तुम उपकारी
हृदयग्राही तेरी वाणी
उत्तमक्षांति ऋजुता तेरी, हे करुणाकर मृदुता तेरी
आभा है तेरी आकर्षक
महावीर हो अवतारी, तेरी समता का करें वरण
जय ज्योतिचरण, जय महाश्रमण

शरच्चन्द्र सा मुखमंडल है, आभामंडल अति उज्ज्वल है
मूरत लागे तेरी मोहनी
मेरु सा अति उन्नत चिंतन, शास्त्र समंदर का कर मंथन
ज्ञान की ज्योत जलाई
तपते लोगों का ताप हरा, आबाल वृद्ध में मोद भरा
श्रेयस्कर तेरा स्पंदन
संकटमोचक है विघ्नविनाशक, पाप ताप का करो हरण
जय ज्योतिचरण, जय महाश्रमण

तुलसी ने नजरों से निखरा, महाप्रज्ञ ने देखी प्रज्ञा
संघ को हिमालय पे चढ़ाया
दीर्घ साधना से बन पाए, युगप्रधान तुम सफल प्रणेता
सौ-सौ बार बधाएँ
महाप्रयाण अक्षय तृतीया, पट्टोत्सव दीक्षा जन्मोत्सव
छः-छः से सार्थक षष्टिपूर्ति
पर उपकार परायण गुरु के पाकर धन्य हुआ क्षण-क्षण
जय ज्योतिचरण, जय महाश्रमण