वर्धापन गीत
वर्धापन का पल यह पावन, वर्धापन सतिराज करें।
जिसने सुधा पिलाई गण को, गणनायक पर नाज करेें।।
लेकर नवउमंग तरंगे, उतरा नभ से उजला प्रात।
महक उठा शासन का सरवर, खिले नए-नए जलजात।
दीक्षा दिन पर शासनशेखर, नवयुग का आगाज करे।।
हो विश्रुत विभास्वर जग में, मंगल भाव सजात हैं।
महाश्रमण गुरुवर रिझवारी, पाकर मोद् मनाते हैं।।
शीघ्र वरो तुम स्थान दिलों में, यही कामना आज करें।।
अभिनंदन आचार्यप्रवर का, साध्वीप्रमुखा श्री वंदन।
अभिनंदन इस नई सुबह का झंकृत जिसमें नवस्पंदन।
पाकर इंगित पूज्यप्रवर का श्रमणीगण पर राज करें।।