आचार्यश्री महाश्रमण विश्व की महान विभूति हैं
नोखा।
आचार्यश्री महाश्रमण जी का जीवन परिश्रमी, संयमी, संकल्पयुक्त योग साधना का अद्भुत जीवन है। सम-समता युक्त, श्रम-श्रमशील श्रमिक का जीवन, षम-शांत चित्त, कषाय विजेता, परोपकारी विलक्षण जीवन रहा है। अहिंसा यात्रा संपूर्ण जगत की महान देन रही है। यह उद्गार शासन गौरव साध्वी राजीमती जी ने नोखा में युगप्रधान व षष्टीपूर्ति समारोह में व्यक्त किए। मंगलाचरण साध्वी पुलकितयशाजी एवं साध्वी कुसुमप्रभाजी ने नेमानंदन स्तुति से किया। महिला मंडल की बहनों ने सुमधुर गीतिका का स्वर दिया।
साध्वी पल्लवप्रभाजी, साध्वी प्रभातप्रभाजी, कनक बुच्चा, सुमन मरोठी, इंदरचंद बैद, डॉ0 प्रेमसुख मरोठी, सभामंत्री लाभचंद छाजेड़, तेरापंथ टाइम्स के संपादक दिनेश मरोठी ने अपने भाव कविता-मुक्तक द्वारा व्यक्त किए। बचपन से अब तक साठ वर्ष की वैराग्य, दीक्षा, युवाचार्य, मुदित से महाश्रमण तक की जीवन-झाँकी कन्या मंडल व ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा भावपूर्ण प्रस्तुति मनमोहक रही। कार्यक्रम का संचालन साध्वी पुलकितयशा जी ने किया।