आज के दिन मेरे लिए सोने का सूरज उगा था-मुझे संयम रत्न मिला: आचार्यश्री महाश्रमण
मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी बनी श्रमणीगण सिरमोर साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी
युवादिवस पर पूज्यप्रवर ने धर्मसंघ को दिया साध्वीप्रमुखा रूपी उपहार
सरदारशहर, 15 मई, 2022
उत्तम पुरुष, धर्म के सम्राट आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आज प्रातः वृहद् मंगलपाठ के बाद फरमाया कि परिषद छः बजे तक यहीं तेरापंथ भवन में स्थित रहने का प्रयास करें। सूर्योदय के पश्चात् जब मुख्य नियोजिकाजी आदि साध्वियाँ गुरुदर्शन हेतु श्रीचरणों में उपस्थित हुई तब परमपावन ने फरमाया कि आज प्रवचन के समय साध्वीप्रमुखा का चयन करने का भाव है। पूरे तेरापंथ समाज में यह सुनकर खुशी की लहर दौड़ गई और अटकलें लग गईं कि पूज्यप्रवर 563 साध्वियों में से 135 साध्वियाँ जो सरदारशहर में विराज रही हैं, उनमें से किसको साध्वीप्रमुखा के स्थान पर स्थापित करेंगे।
आज वैशाख शुक्ला चतुर्दशी है, आज ही के दिन परम वंदनीय आचार्यश्री महाश्रमण जी बालक मोहन के रूप में गुरुदेव तुलसी की आज्ञा से मुनि सुमेरमलजी ‘लाडनूं’ (मंत्री मुनि) के करकमलों से सरदारशहर के श्री समवसरण में दीक्षा हुई थी और बालक मोहन दीक्षित होकर मुनि मुदित बन गए थे। आचार्यश्री महाश्रमणजी के दीक्षा दिवस को अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद युवा दिवस के रूप में मनाती आ रही है। बालक मोहन से बने मुनि मुदित कुमार, मुदित कुमार से महाश्रमण, महाश्रमण से युवाचार्य महाश्रमण और आचार्यश्री महाश्रमण की लंबी यात्रा है।
आचार्यश्री महाश्रमण जी का दीक्षा दिवस के साथ आज एक और इतिहास जुड़ गयाµसाध्वीप्रमुखा चयन का। ससीम को असीम बनाने वाले आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि आज वैशाख शुक्ला चतुर्दशी है। आज हाजरी का दिन हैं मेरे लिए आज अभिनिष्क्रमण का दिवस भी है। मैंने आज से ठीक 48 वर्ष पूर्व सरदारशहर में ही अपने संसारपक्षीय पींचा वास वाले घर से अभिनिष्क्रमण किया था, मुनि बनने के लिए। परम पूज्य आचार्य तुलसी के अनुग्रह से श्रद्धेय मुनि सुमेरमल जी स्वामी ‘लाडनूं’ ने मुझे और मेरे साथ दीक्षित होने वाले मुनि उदित कुमार जी स्वामी को दीक्षा प्रदान की थी। उपचार को महत्त्व दिया जाए तो मेरे लिए आज का दिन बड़ा महत्त्वपूर्ण है। सोने का सूरज मेरे लिए उगा था कि मुझे संयम रत्न प्राप्त हुआ। मेरा संयम रत्न सुरक्षित रहे।
आज हाजरी का दिन है। हाजरी का वाचन किया। मर्यादाएँ और सिद्धांत समझाए। हमारा धर्मसंघ आज से 262 वर्ष पहले शुरू हुआ था। आचार्य भिक्षु हमारे पहले आचार्य-अनुशास्ता हुए। उनकी उत्तरवर्ती आचार्य परंपरा चली। पूज्यप्रवर ने अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित युवा दिवस पर मंगल आशीर्वचन फरमाया कि युवाओं में भी शक्ति का अच्छा निरवद्य उपयोग, धार्मिक उपयोग होता रहे। युवाओं में सामायिक आदि की व तप आदि की चेतना जागृत रहे। सब युवा अच्छा काम करें।
नवमी साध्वीप्रमुखा के रूप में मुख्य नियोजिका विश्रुतविभा जी की घोषणा चौथे आचार्य श्रीमद्जयाचार्य ने साध्वियों की व्यवस्था का विधिवत रूप स्थापित किया कि साध्वी समाज में एक साध्वी को मुखिया बनाना चाहिए। जयाचार्य ने साध्वी सरदारांजी को साध्वीप्रमुखा बनाया और वह परंपरा आगे चली। अंतिम साध्वीप्रमुखा साध्वी कनकप्रभाजी की नियुक्ति आचार्य तुलसी ने की थी। हमारे धर्मसंघ में सर्वोच्च साध्वीप्रमुखा भी एक होती है। साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी ने तो साधिक पचास वर्षों तक तीन-तीन आचार्यों के काल में सेवा दी थी। पिछले दो महीने पहले उनका भी दिल्ली में महाप्रयाण हो गया था। मैंने चिंतन किया है कि मैं इस स्थान को लंबे काल तक रिक्त न रखूँ। मैं साध्वियों से परिचित भी हूँ। मैंने ध्यान भी दिया है। मैं मेरा चिंतन आपके सामने रखना चाहता हूँ। नियुक्ति पत्र का वाचन करते हुए साध्वी विश्रुतविभाजी को नवमी साध्वीप्रमुखा के रूप में स्थापित किया। और नियुक्ति पत्र नव मनोनीत साध्वीप्रमुखा जी को समर्पित किया।
पूज्यप्रवर ने नवनियुक्त साध्वीप्रमुखाजी को नई पछेवड़ी साध्वीवर्याजी से ओढ़ाई। अपना रजोहरण व प्रमार्जनी साध्वीप्रमुखाजी को प्रदान कराया। औज आहार के रूप में गुड़ चंवलेड़ी प्रदान करवाई और मुख्य नियोजिका से साध्वीप्रमुखा के रूप में स्थापित किया। नव मनोनीत साध्वीप्रमुखाजी के प्रति अपने मंगल उद्गार व्यक्त करते हुए पूज्यप्रवर ने फरमाया कि साध्वीप्रमुखा का स्वास्थ्य खूब अच्छा रहे, खूब अच्छे ढंग से लंबे काल तक साध्वी समाज व अन्य सेवाएँ करती रहें। साध्वी समाज भी साध्वीप्रमुखाजी के निर्देशन में अपनी साधना करते रहें, निर्देश का पालन करते रहें। उन्हें सम्मान दे, उस पर गौर करें। चतुर्विध धर्मसंघ ने खड़े होकर नवनियुक्त साध्वीप्रमुखा का अभिवंदन किया।
गुरु आज्ञा के प्रति समर्पित रहकर धर्मसंघ के विकास में योगभूत बनूँ - साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी
आज के इस मंगल अवसर पर अपने मन के भाव व्यक्त करते हुए नवनियुक्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने कहा कि जीवन में कुछ क्षण ऐसे आते हैं, तब वाणी मौन होना चाहती है। भाव उभरते रहते हैं। मैं अपने शब्दों को एकत्रित करके बोल रही हूँ कि तेरापंथ धर्मसंघ एक नेतृत्व वाला धर्मसंघ है। हमारी चिंता की सारी चादर गुरु के कंधों पर रहती है। गुरु हमारे लिए समाधायक होते हैं।
इतिहास साक्षी है कि गुरु ने जब जो भार सौंपा स्वयं गुरु ही शक्ति संप्रेषित करते रहते हैं। हर शिष्य के लिए गुरु का आशीर्वाद आधार बिंदु बनता है। आचार्यवर आपने मुझे एक दायित्व सौंपा है। उस दायित्व का मैं कैसे निर्वहन कर पाऊँगी, मैं नहीं समझ पा रही। मुझे वही आशीर्वाद, वही कृपा, वही विश्वास मिलेगा। मैं उसी के आधार पर कार्य करूँगी और आगे बढ़ती रहूँगी। गुरुदेव तुलसी ने मुझे समणी दीक्षा एवं संयम रत्न प्रदान किया था। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने मुझे आगे बढ़ने का अवसर दिया। वर्तमान में आपश्री की निश्रा में मैं और विकास कर रही हूँ। आचार्यप्रवर! आज आपका दीक्षा दिवस है। तेरापंथ में संन्यास की परंपरा रही है। लोगों में आपके प्रति आकर्षण बढ़ रहा है, वह आपके संन्यास व तेज का ही प्रभाव है।
मुझे आज साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी की स्मृति आ रही है। मैंने उनको नजदीकी से देखा है। वे वही कार्य करती जो गुरु का इंगित होता। मैं भी अपने प्रति मंगलकामना करती हूँ कि गुरुदेव मुझे आपका जो भी निर्देश-आज्ञा मिले उसके प्रति मैं सर्वात्मना समर्पित रहूँ। धर्मसंघ के विकास में योगदान दे सकूँ। साध्वीवर्या जी ने नवनियुक्त साध्वीप्रमुखाश्री जी के प्रति अपनी मंगलभावना प्रेषित करते हुए कहा कि परमपूज्य आचार्यप्रवर के प्रति हम अत्यंत कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं कि जो साध्वीप्रमुखाजी का स्थान रिक्त हो गया था, उसे आज पूर्ण कर दिया हैं मुख्य नियोजिका जी के जीवन को भी हमने देखा है। मेरे पर शुरू से कृपादृष्टि रही है। मेरे विकास में मुझे बड़ा सहयोग मिला है। वे हमारा पूरा ध्यान रखती हैं। मैं इनके प्रति मंगलकामना करती हूँ। मैं भी आपके कार्य में सहयोगी बनती रहूँ।
मुख्य मुनिप्रवर ने नवनियुक्त साध्वीप्रमुखाजी को मंगल बधाई देते हुए कहा कि जयाचार्य ने साध्वीप्रमुखा पद का सूत्रपात किया था, जिससे आचार्यों को काफी सहयोग प्राप्त होने लगा। आज आचार्यप्रवर ने महत्त्वपूर्ण घोषणा की है, जिससे पूरे साध्वी समाज में हर्ष की लहर दौड़ रही है, उन्हें साध्वीप्रमुखा मिल गई है। साध्वीप्रमुखाजी के जीवन में बौधिकता का विकास है। आपके जीवन के उज्ज्वल भविष्य के प्रति हार्दिक मंगलकामना। नवनियुक्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी की अभिवंदना, मंगलकामना रूप में पूज्यप्रवर ने मंगलपाठ सुनाया। साध्वी समाज की ओर से वर्धापना पत्र का वाचन साध्वी जिनप्रभाजी ने किया। साध्वीवर्याजी ने वर्धापना पत्र समर्पित किया। साध्वीवृंद ने वर्धापना गीत का भी संगान किया। साध्वीप्रमुखाजी के संसारपक्षीय परिवार की ओर से ललित मोदी ने पूज्यप्रवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
पूज्यप्रवर के दीक्षा दिवस के अवसर पर सूजानमल दुगड़, सुमतिचंद गोठी ने पूज्यप्रवर के बालपन के संस्मरण सुनवाए। तेयुप, सरदारशहर ने सामूहिक गीत का संगान किया व नवीन नौलखा ने गीत की प्रस्तुति दी। अभातेयुप अध्यक्ष पंकज डागा ने युवा दिवस पर पूज्यप्रवर का वर्धापन किया। ज्ञानशाला की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने करते हुए समझाया कि शक्ति का उपयोग सही दिशा में करें। हम शक्ति को संयम में नियोजित करें।