अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के  आयोजन

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन

चंडीगढ़

योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है, विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र द‍ृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। ये शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने योग दिवस के अवसर पर अणुव्रत भवन, तुलसी सभागार में कहे।
मुनिश्री ने आगे कहा कि योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। कार्यक्रम में इस दौरान बहुत से श्रावक-श्राविकाओं ने योग किया।
मुनि भूपेंद्र कुमार जी ने कहा कि योग का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि यह व्यक्‍ति के व्यवहार में परिवर्तन लाता है, क्योंकि व्यवहार व्यक्‍ति के तनाव के स्तर पर निर्भर करता है, यह लोगों के मैत्रीपूर्ण चित्तवृत्ति और प्रसन्‍नचित्त वातावरण का निर्माण करता है। योग हमारी तरंगों को बेहतर बनाता है। योग सदैव अनेकता में एकता को बढ़ाता है। योग शब्द का अर्थ ही जोड़ना है। जीवन ऐर अस्तित्व के विपरीत अंगों को जोड़ता है।