आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन - अध्यात्म के महासूर्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ
उज्जैन
साध्वी कीर्तिलता जी के सान्निध्य में तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की 102वीं जन्म जयंती पटेल निवास में मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ सोनाली पूजा पीपाड़ा के मंगल गीत से हुआ।
साध्वी कीर्तिलता जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी तुलसी युग के महान भाष्यकार थे। नए युग के नए कैनवास पर नए चित्र को अंकित करने वाले थेआचार्यश्री महाप्रज्ञ जी। साध्वीश्री जी ने छोटी-छोटी घटनाओं के माध्यम से आचार्यप्रवर के व्यक्तित्व और कर्तव्य को प्रस्तुत किया। साध्वी शांतिलता जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी अलौकिक प्रज्ञा के शलाका पुरुष थे।
साध्वी पूनमप्रभा जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी उस शख्स का नाम है जिन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ को सात समुद्र पार पहुँचाया। साध्वी श्रेष्ठप्रभा जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी ने मुझ जैसी अनगढ़ पत्थर को मूर्ति का रूप दिया।
तेयुप अध्यक्ष मधुर आच्छा ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के व्यक्तित्व को समझना दुरुह है। महिला मंडल अध्यक्षा वीरबाला छाजेड़ ने कहा कि उनके दिए हुए अवदानों का लाभ उठाएँगे तभी जयंती मनाना सार्थक होगा। हमें संबोधि ग्रंथ का स्वाध्याय करना चाहिए।
ईश्वर पटेल ने कहा कि महाप्रज्ञ तेजस्वी, ओजस्वी, वर्चस्वी व्यक्तित्व के धनी थे। पीपाड़ा परिवार के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने सुंदर नाटिका के माध्यम से त्याग की केक समर्पित की। कार्यक्रम का संचालन साध्वी पूनमप्रभा जी ने किया।