साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर हृदयोद्गार
लाडनूं का गौरव बनी तुम, छाई कण- कण में खुशाली।
मनोनयन की शुभबेला में, गण में आई आज दिवाली।।
नव निर्वाचित साध्वी प्रमुखा
तेरी यश गाथाएं
नभ-धरती में गूंज रही है
गाती दशों दिशाएं इस मीठे क्षण में अब तुम, पाओ हमको अमृत प्याली।
महाश्रमण गुरुराज ने
श्रमणी. गण को दिया दिव्य वरदान
विश्रुत विभा साध्वी प्रमुखा पा
जय जयकार करें इकतान
श्रमणी गण यह बना निहाल, मिली साध्वी प्रमुखा निराली।
समता, श्रम की देवी हो तुम
ममता से गागर भरदो
साधना में मैं बढूं निरन्तर
ऐसा अनुपम वर दे दो
आज मानस अतुल आनन्दित,
चमन खिला है डाली डाली।
बनो निरामय और चिरायु
अर्चा में अर्पित मन प्राण
नये नये स्वस्तिक रच डालो
पाओ जगति का सम्मान
‘शान्तिप्रभा’ मन शंख बजे और मंगलमय बाजे शुभ थाली