साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर हृदयोद्गार
नव नियुक्त साध्वीप्रमुखाजी
विश्रुतविभाजी! वर्धापना
अभिवंदना
उत्सव की बेला, अरूणिम दसों दिशाएं।
धरती मुसकाए, पवन प्रभाती गाए।।
है युग प्रधान गणनायक विभुता धारी
तप संयम, समता श्रम के अटल पुजारी।
उत्सव पंचक पर सुधा कलश छलकाएं।।
साध्वी समुदाय पर की अनुकंपा भारी
मानस उपवन की कुसुमित क्यारी क्यारी।
सक्षम सुयोग्य साध्वी प्रमुखाजी पाए।।
चंदेरी नगरी अतिशय गौरवशाली
जिसने दी दुर्लभ मणियां तीन निराली।
हैट्रिक अद्भुत लख सबके सिर चकराए।।
गुरु तुलसी भगिनी महासती लाडांजी
थी दिव्य विभूति महाश्रमणी कनकप्रभाजी।
साध्वीश्री विश्रुत विभाजी को विरूदाएं।
प्रमुखा पद पर हम ससम्मान बधाएं।।