साध्वीप्रमुखा मनोनयन के अवसर पर मन के उद्गार
वर्धापन की पावन वेला सविनय शीष झुकाते हैं।
खुशियों से भीगा मधुमास पाकर हरपल हरसाते हैं।।
नंदनवन भैक्षवशासन में पाया, गणमाली का साया।
तुलसी महाप्रज्ञ की नजरों में समाई अद्भुत आपकी छाया।
महाश्रमण नेतृत्व शुभंकर, हरपल मोद मनाते हैं।।
दीक्षोत्सव की पावनवेला गुरुवर ने मनोनीत किया नवम पद पर।
पछेवड़ी रजोहरण प्रदान करके सम्मान दिया साध्वीप्रमुखा पद पर।
श्रमणीगण शंृगार बनी तुम, देख देख मुस्काते हैं।।
बौद्धिक स्फुरणा से प्रतिपल नित नए छंद रचाए।
विनय नम्रता समर्पण से अप्रमत्तता का आदर्श दिखाए।
अभिनव है तव जीवन शैली, प्रेरक गीत गाते हैं।।
शासनमाता की सन्निधि में, सुंदर जीवन पथ लहराया।
वैराग्य विवेक की चादर ओढ़कर जीवन का हरपल सजाया।
तप त्याग की बलिवेदी पर बढ़ते इन कदमों को हम बधाते हैं।।