अर्हम

अर्हम

साध्वीप्रमुखा मन भाए, राग गौरव शिखर चढ़ाए।
शासन महिमा महकाए, स्वर्णिम इतिहास रचाए।
ये नंदन वन प्राणों से प्यारा है, जीवन का उजारा है।।

साध्वीप्रमुखाओं का गण में, रहा इतिकृत निराला है।
शतगुणित संघ सुषमा फैली, चिहुंदिशि में उजियाला है।
हम जय गणि के आभारी, दी प्रमुखा संघ को प्यारी।
जाए गण की बलिहारी, तेरापंथ गरिमा न्यारी।
ये नंदनवन प्राणों से प्यारा है---

चंदेरी की पुण्य धरा पर, मोदी कुल में जन्म लिया।
सहअस्तित्व सौहार्द समन्वय, आनंदित जीवन जीया।
अप्रमत्त जागरूक शैली, श्रद्धा निष्ठा अलबेली।
संघ निष्ठा अजब तुम्हारी, गुरु निष्ठा सदा निहारी।
ये नंदनवन प्राणों से प्यारा है---

तीन-तीन आचार्यों के दिल में, विश्वास जमाया है।
विनय समर्पण अनुशासन से, समता दीप जलाया है।
तप स्वाध्याय ध्यान क्षण-क्षण में, ऋजुता मृदुता कण-कण में।
वात्सल्य भरा जीवन में, उत्साह अनूठा तन में।
ये नंदनवन प्राणों से प्यारा है---

गुरु महाश्रमण महती अनुकंपा, संघ को नव उपहार दिया।
शासनमाता की सन्निधि में, उन्नति का आधार दिया।
हम अपना भाग्य सराएँ, ऐसे गुरु युग-युग पाएँ।
सौभाग्यलता लहराए, हम झुक-झुक शीष झुकाएँ।
ये नंदनवन प्राणों से प्यारा है---

लय: सूरज कब दूर गगन---