आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन - अध्यात्म के महासूर्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन - अध्यात्म के महासूर्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

मलकपेट, हैदराबाद

साध्वी निर्वाणश्री जी एवं साध्वी पुण्यस्मिता म0सा0 व साध्वी प्रणिधि म0 सा0 के सान्‍निध्य में आचार्यश्री महापज्ञ जी का 102वाँ जन्म दिवस श्रद्धा के साथ मनया गया। मलकपेट के सुराणा भवन के सभागार में आयोजित प्रज्ञा दिवस में उपस्थित विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी निर्वाणश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ भारतीय ॠषि परंपरा के गौरव पुरुष थे। उनकी विलक्षण विशेषताओं की व्याख्या चंद शब्दों में नहीं हो सकती। उन्हें अनेक साहित्य में पढ़ा जा सकता है। उनकी ध्यान पद्धति को सीखकर समझा जा सकता है। वे गहन दर्शन को भी सरल भाषा में समझाकर जनभोग्य बनाने में माहिर थे।
साध्वी प्रणिधि म.सा. ने आचार्य महाप्रज्ञजी के गुणानुवाद करते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जैन शासन के तेजस्वी सूर्य थे। वे एक आशु कवि, कुशल प्रवचनकार। वे वंदनीय, अनुमोदनीय व अनुकरणीय महामानव थे। हमें आज उनके गुणानुवाद का मौका मिला, इसके लिए मैं मातृतुल्य साध्वी निर्वाणश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ।
साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी में प्रकांड विद्वता की हिमालयी ऊँचाई थी तो अद्भुत समर्पण की सागर सी गहराई थी। वे समता की प्रतिमूर्ति थे, अनुशासन के पक्षधर थे।
साध्वी लावण्यप्रभा जी, साध्वी कुंदनयशा जी, साध्वी मुदितप्रभा जी, साध्वी मधुरप्रभा जी ने सुमधुर प्रस्तुति दी। अपने भावों की अभिव्यक्‍ति में तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद के मंत्री सुशील संचेती, तेरापंथ सभा, हैदराबाद के उपाध्यक्ष दिलीप डागा, महिला मंडल की सहमंत्री कविता आच्छा, तेयुप के सहमंत्री प्रमोद भंडारी, टीपीएफ के मंत्री सुनील पगारिया, रामकोट से श्रमण संघ के अध्यक्ष किशोर मूथा ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ मलकपेट ज्ञानशाला के नन्हे-मुन्‍नों के ‘महाप्रज्ञ अष्टक’ के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम का संचालन साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने किया। कार्यक्रम की समायोजना में मलकपेट तेरापंथ समाज व श्रीसंघ का भी सहयोग रहा।