है दुनिया को नाज
भाग्य सराहें, गौरव गाएँ, युगप्रधान गुरुराज।
अभिनंदन नेमा नंदन, अर्पित श्रद्धा चंदन।।
वर्धापन की मंगल बेला संघ खुशहाल है,
अनुत्तर संयम समता तेजस्वी भाल है,
दशों दिशाएँ, तुम्हें बधाएँ, खुशियाँ बे-अंदाज।।
जीवन निर्माता प्रभुवर बोधि प्रदाता,
धन्य बन जाता जो भी चरणों में आता,
वर्षों की जागी पुण्याई, पुलकित सकल समाज।।
युगपुरुष बहाई जग में, करुणा की धारा,
भटके मनुज को मिला सिंधु किनारा,
मानवता के महामसीहा, है दुनिया को नाज।।
युगद्रष्टा युगसृष्टा युग अवतारी,
श्रुतधर शक्तिधर शांतिधर---धारी,
युग-युग जीओ करो शासना, शासन के सरताज।।
लय: स्वर्ग से सुंदर---