जब तक शरीर समर्थ हो करते रहें धर्माराधना: आचार्यश्री महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण ने मुख्यमुनि महावीर को अपनी माला पहनाकर दिए भावी शुभ संकेत
धर्मनगरी नोखा में दिखा अनोखा नजारा-धर्मसंघ में पहली बार
नोखा, 4 जून, 2022
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी आज नवमनोनीत साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी एवं संपूर्ण धवल सेना के साथ 9 किलोमीटर विहार कर धर्मनगरी नोखा के तेरापंथ भवन में पधारे। नोखा तेरापंथ धर्मसंघ की श्रद्धा का अच्छा क्षेत्र है। अनेक साधु-साध्वियाँ एवं समणियाँ नोखा से संबंधित हैं। नोखा से संबंधित मुनि नयकुमारजी जो ‘तेरापंथ टाइम्स’ का प्रकाशन संबंधी कार्य संभाल रहे हैं। महामनीषी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में दो तत्त्व हैं-एक है शरीर और दूसरा है आत्मा। इन दो तत्त्वों के मिलने से ये जीव निर्मित हुआ है। सिद्ध भगवान मोक्ष में है, वहाँ आत्मा तो है, पर शरीर नहीं है। वहाँ जीवों का जीवन काल नहीं है।
शास्त्रकार ने कहा है कि यह हमारा शरीर एक नौका है। हमारी आत्मा नाविक है। ये संसार जन्म-मरण का अथाह सागर है। इस सागर को शरीर रूपी नौका द्वारा ये जीव जब महर्षि-साधक बन जाता है, तो तर जाता है। हमारे जीवन में शरीर का अपना महत्त्व है, आत्मा का अपना महत्त्व है। शरीर की सक्षमता में तीन बाधाएँ हैं-बुढ़ापा, व्याधि और इंद्रिय शक्ति की हीनता। गुरुदेव तुलसी ने दीर्घ यात्राएँ की थीं। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने कितना वैदुष्य अर्जित किया, साहित्य सृजन किया, आगम संपादन का कार्य किया। उनमें कितना सामर्थ्य रहा होगा। शरीर जब तक समर्थ है, तब तक धार्मिक साधना जितनी हो सके कर लें। साधु-साध्वियाँ सेवा कर लें। गृहस्थ भी जब तक शरीर सक्षम है, धार्मिक साधना-आराधना कर लें। जीवन के अंतिम समय में पछतावा न करना पड़े कि मैंने धर्म की साधना कोई विशेष की ही नहीं।
साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी आज संसार में विद्यमान नहीं हैं, पर वह भी कितनी बार नोखा पधारी होंगी। नई साध्वीप्रमुखाजी पधारी हैं। शासन गौरव बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वी राजीमतीजी से मिलना हो गया है। राजीमती जी हमारे धर्मसंघ की ख्यातनाम साध्वी हैं। साधना में भी प्रतिष्ठित हैं। स्वास्थ्य अनुकूल रहे। नोखा मंडी में चाहे राजनीति के लोग हो या समाजनीति के लोग जैन-अजैन सभी में नैतिक मूल्यों के प्रति भावना रहे। जीवन में सद्भावना, नशामुक्ति रहे। धर्म-अध्यात्म जीवन में रहे।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने कहा कि गुरुदेव ने तेरापंथ के सेवाकेंद्रों रूपी तीर्थों की 2010 में यात्रा की थी। वर्तमान में भी थली-हरियाणा के क्षेत्रों में आचार्यप्रवर पधारे हैं। वृद्ध साधु-साध्वियों से आज भी मिलने-दर्शन देने के भाव रहते हैं। जिस संघ में ऐसे गुरु होते हैं, वह संघ हमेशा प्रवर्धमानता की ओर अग्रसर रहता है। आचार्यप्रवर महापुण्यवान हैं शासन गौरव साध्वी राजीमती जी ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त करते हुए कहा कि व्यक्ति को भगवान, गुरु और आत्मा की शरण में रहना चाहिए। गुरु की शरण में रहने से साधना का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। हर व्यक्ति पुण्यवान होता है, परंतु पुण्यवानी की रक्षा करना हर कोई नहीं जानता है। आचार्यप्रवर महापुण्यवान हैं और वाणी के अनुत्तर संयम, सदैव प्रसन्नचित्त, प्रशांत रहकर पुण्यवता की सुरक्षा ही नहीं उसमें अभिवृद्धि कर रहे हैं। नोखा मंडी में उत्साह, उदारता, उपयोग की भावना गुरुदेव के चातुर्मास के लायक है।
सहवर्ती साध्वियों ने गीतिका के माध्यम से अपनी भावना रखी। साध्वी राजीमती जी ने पूज्यप्रवर को हस्तनिर्मित माला भेंट की। पूज्यप्रवर ने ध्यान से उसका अवलोकन करते हुए उसे धारण किया। मुख्य मुनिप्रवर ने पूज्यप्रवर को वह माला धारण करवाई।
साध्वी राजीमती जी द्वारा अर्पित माला के बारे में आचार्यश्री ने फरमाया कि यह एक रक्षा कवच रूप है। देव, गुरु, धर्म और परम प्रभु हमारी आत्मा व शरीर की रक्षा करते रहें। हमने इसे ग्रहण कर लिया है। हमारे पूरे धर्मसंघ की रक्षा हो अब संघ के प्रतीक के रूप में मैं इसे मुख्य मुनि को पहना रहा हूँ। आज इनका जन्म दिवस भी है। उपस्थित श्रावक-श्राविकाएँ गुरु-शिष्य के इस आत्मीय दृश्य को देखकर धन्यता का अनुभव कर रहे थे। नोखा में इस अनूठे दृश्य के साथ एक नया इतिहास सृजित हो गया कि किसी आचार्य ने एक मुनि को अपनी माला पहनाई हो।
पूज्यप्रवर की अभिवंदना में तेरापंथ युवक परिषद, किशोर मंडल, तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल, सभाध्यक्ष निर्मल भूरा, अणुव्रत समिति, नोखा नगरपालिका अध्यक्ष नारायण झंवर, नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, कन्हैयालाल झंवर, पूर्व मंत्री रामेश्वर डुडी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
आचार्यप्रवर ने पलक सेठिया को 9 की तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए। सम्यक्त्व दीक्षा ग्रहण करवाई। आचार्यप्रवर ने 12 जोड़ों को आजीवन शीलव्रत एवं 10 जोड़ों ने एक साल के लिए शीलव्रत के प्रत्याख्यान करवाए। नोखा में पाँच श्रावकों ने आचार्यप्रवर से सुमंगल साधना के संकल्प लिए। इसके अतिरिक्त 13 व्यक्तियों ने ग्यारह सूत्र पढ़ने का संकल्प, 67 भाई-बहनों ने 1100 पृष्ठ स्वाध्याय का संकल्प, 61 लोगों ने 61 तपस्या को थोकड़े करने का संकल्प लिया। युवक परिषद एवं किशोर मंडल द्वारा त्याग तरणी मोक्ष निसरणी, कन्या मंडल द्वारा त्यागों का गुलदस्ता, 11 व्यक्तियों द्वारा ग्यारह तत्त्वज्ञान के थोकड़े सीखने के संकल्प श्रीचरणों में समर्पित किए। नगरपालिकाध्यक्ष नारायण झंवर एवं अन्य पार्षदों ने पूज्यप्रवर को अभिनंदन पत्र अर्पित किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।