अर्हम्

अर्हम्

शासनश्री मुनि विजय कुमार

नवनियुक्त साध्वीप्रमुखा का गौरव गाएँ हम,
भक्ति का थाल सजाएँ हम।।

युगप्रधान आचार्यप्रवर ने अनुपम काम किया है,
षष्ठीपूर्ति समारोह पर गण को वरदान दिया है,
रिक्त स्थान भर दिया गुरु ने मोद मनाएँ हम।।1।।

साध्वीगण निश्चिंत हुआ साध्वीप्रमुखा को पाकर,
मिली अनुभवी सती शेखरां, जीवन गुण रत्नाकर,
पथ दर्शन आचार्यत्रयी का लाभ उठाएँ हम।।2।।

प्रमुखाश्री नित स्वस्थ रहें यह दिली भावना सबकी,
मस्त और आश्वस्त रहें यह मनोकामना सबकी,
गणदेवी पर नव आशा के दीप जलाएँ हम।।3।।

शासनमाता के संग रहकर सीखी कई कलाएँ,
अब गुरुवर की सेवा में रह जीवन ज्योति जलाएँ,
‘विजय’ दीवाली धर्मसंघ में सदा मनाएँ हम।।4।।

लय: जवाहरलाल बनेंगे हम---