साध्वीप्रमुखा मनोनयन दिवस पर शत-शत वंदन
साध्वी काव्यलता, साध्वी ज्योतियशा, साध्वी सुरभिप्रभा
तेरापंथ धर्मसंघ का यह स्वर्णिम दिवस इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों से अंकित हो गया। जिस पुण्य प्रभात में युगदृष्टा, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आदरास्पद मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी को अपनी पारखी नजरों से देखा, परखा और अपने दीक्षा दिवस पर आपश्री को तेरापंथ की यशस्वी साध्वीप्रमुखा पद पर प्रतिष्ठित कर संपूर्ण धर्मसंघ को निश्चिंत बना दिया। परम यशस्वी, परम प्रतापी आचार्यप्रवर के स्वर्णिम दीक्षा दिवस पर साध्वीप्रमुखा नियुक्ति का अद्भुत, अनिर्वचनीय दृश्य को देखकर हृदय सिंधु में हर्ष और उल्लास की उत्ताल तरंगे तरंगित होने लगी। काश! आज हम भी गुरुचरणों में साक्षात् इस मनोरम दृश्य को देख पाती। आज के उजले प्रभात पर हम अपने भाग्य की सराहना करते हैं कि हमें एक प्रबुद्ध, चिंतनशील, गंभीर, सरलमना, तपस्वीनी, साहित्यकार, प्रखरवक्ता, गहन प्रवचनकार आदि अनेकानेक गुणों से अभिमंडित साध्वीप्रमुखा का कुशल नेतृतव प्राप्त हुआ है। गुरु का आशीर्वाद, गुरु की वत्सलता, गुरु का वरदान, गुरु का प्रसाद, गुरु द्वारा प्रदत्त कवल, गुरु का अनुग्रह, गुरु द्वारा प्रदत्त रजोहरण, आपश्री जैसी विनम्र समर्पित प्रमुखाश्री जी ही प्राप्त कर सकती है। आचार्य की दूरदर्शिता ने एक दिव्यमणि को संघ दिवट पर चढ़ाया। दिव्य मणि की दिव्य रोशनी से पूरा साध्वी समाज आलोकित होता रहेगा। कुशल अनुशासना में हम सब प्रसन्नमना चित्त समाधिपूर्वक साधना में अनवरत गति करते रहें, आगे बढ़ते रहें। आपश्री के यशस्वी जीवन की मंगलकामना के साथ अंतःकरण से सौ-सौ बधाइयाँ।