नवमनोनीत साध्वीप्रमुखाश्री जी विश्रुतविभा जी के प्रति
अभिनंदन के स्वर
साध्वी ललिताश्री
भिक्षु शासन नंदनवन का खिलता है यह उपवन।
साध्वीप्रमुखा का करते हम भाव भरा अभिनंदन।
गुरु दृष्टि का कर आराधन पाई तुमने नई रोशनी।
बौद्धिक युग में बौद्धिक प्रमुखा से खिल रहा है गुलशन।।
सहज सरलता सहनशीलता देखी हमने बड़ी निराली।
किन शब्दों में करूँ बयान आपका सब दिल खुशियाली।
गुरुत्रय के प्रति पूर्ण समर्पित महाप्रज्ञ से ऊर्जा पाई।
तप-जप की शुद्ध साधना से बदली जीवनशैली।।