हमारे विचार अग्निशिखा ज्यों ऊर्ध्वमुखी हो
पुरुषवाक्कम, चेन्नई
अग्नि को किधर से ही जलाओ, उसकी शिखा ऊपर की ओर रहेगी। पानी निम्नमुखी होता है, वह नीचे की ओर बहता है। हमारे विचार और संकल्प अग्नि शिखा ज्यों ऊर्ध्वमुखी होने चाहिए। पानी की तरह निम्न मुखी नहीं, विचार और संकल्प ही हमारे भाग्यविधाता हैं। यह विचार मुनि सुधाकर कुमार जी ने व्यक्त किए। मुनिश्री ने आगे कहा कि शास्त्रों में कहा हैµविचार ही उत्थान-पतन तथा बंधन-मुक्ति के मुख्य हेतु हैं। जीवन में परिस्थितियों के रंग बदलते रहते हैं। इससे पूर्व मुनिवृंद नार्थ टाउन से विहार कर प्रकाशचंद मुकेश कुमार मूथा के निवास स्थान पर पधारे। रास्ते में स्थानकवासी समाज की प्रबुद्ध साध्वी सुधाकंवर जी से आध्यात्मिक मिलन हुआ।