आचार्यश्री महाश्रमणजी को युगप्रधान अलंकरण के उपलक्ष्य में
युगदृष्टा युगप्रधान, जन-जन को नव राह दिखाएँ।
षष्टीपूर्ति पर प्रभो! हम अरमान सफल बनाएँ।।
झूमर नेमानंदन दुगड़, कुल के उजियारे,
तेरापंथ धर्मसंघ के तुम हो भाग्य सितारे,
प्रभो! वीतराग कल्प! हममें वीतराग भाव सदा जगाएँ।।
मन मोहक तव मुद्रा, दिल में अनवरत करुणा भाव बहाएँ,
श्रम शम सम की उच्च साधना से, संयम को संपोषण दे पाएँ,
कषाय विजयी बने हम, आत्मस्वरूप को पहचान पाएँ।।
ज्योतिर्मय तव जीवनशैली, जन-जन के मन को लुभाएँ,
तेरी आकर्षक प्रवचनशैली, व्याप्त अज्ञान तिमिर को मिटाएँ,
हे शांतिदूत! जग को अमिट शांति का संदेश सुनाएँ।।
विजयी अहिंसा यात्रा का हम करते अभिनंदन,
संघ सिरताज संघ शिरोमणि साध्वी समाज का लो अभिवंदन,
गुणरत्नाकर, संघप्रभाकर, तव छत्रछाँह में मंजिल हम पाएँ।।
धर कूंजा धर मजला चलकर कितने भक्तों को तारा,
सद्भाव, नैतिकता का पाठ पढ़ाकर, जन मानस को बदला,
हे धर्मदूत! युगों-युगों तक राज करो, नित नूतन प्रेरणा पाएँ।।