संयम कार्यशाला का आयोजन
तंडियारपेट, चेन्नई।
साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में अभातेममं के तत्त्वावधान में संयम कार्यशाला का आयोजन तेममं द्वारा तेरापंथ भवन में हुआ। इस अवसर पर साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि संयम की साधना महावीर द्वारा प्रदत्त केंद्रीय सिद्धांत है। तात्त्विक दृष्टि से चिंतन करें तो मोहनीय कर्म विशुद्ध चेतना को आवृत्त करता है। साध्वीश्री जी ने कहा कि संयम की साधना का मुख्य हेतु स्वाध्याय है। आध्यात्मिक ग्रंथों के स्वाध्याय से आनंद का अनुभव होता है। मात्र संयम को सुनें ही नहीं, उसे समझें और जीवन में संकल्पित होकर उतारने का प्रयास करें।
साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभाजी ने कहा कि इंद्रियों के संयम की विशेष साधना साधक को करनी चाहिए। इंद्रियों की संयम साधना कैसे सधे इसके लिए साध्वीश्री जी ने कई प्रयोग करवाए। टीपीएफ अध्यक्ष, प्रखर वक्ता राकेश खटेड़ ने एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध विषय को प्रतिपादित करते हुए कहा कि हमारे भीतर अनंत शक्तियाँ विद्यमान हैं। संयम भीतर के प्रकाश को जगाता है। आवश्यकता है आत्मा के पट को खोलें। कार्यशाला का प्रारंभ महिला मंडल के प्रेरणा गीत से हुआ। अध्यक्षा पुष्पा हिरण ने कहा कि साध्वीश्री जी के सान्निध्य में हमें अनेकों निर्देशित कार्यक्रम करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। महिला मंडल द्वारा संयम की महत्ता प्रदर्शित करने वाले लघु नाटिका प्रस्तुत की। आभार ज्ञापन मंत्री रीमा सिंघवी ने किया