समग्र मानव जीवन के कल्याण की कामना रखते थे आचार्य महाप्रज्ञ
राबड़ियाद।
आज का इंसान भगवान को मानता है पर भगवान की नहीं। अर्थात् वह भगवान की पूजा, अर्चना, आरती, भक्ति, उपासना तो बहुत करता है पर भगवान की वाणी को आचरण नहीं करता। इसी प्रकार वह गुरु को मानता है पर गुरु के उपदेशों पर ध्यान नहीं, वह गुरु के प्रवचनों को सुनता है वह उस पर चलने का प्रयास नहीं करता। यह विचार राबड़ियाद गाँव में आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के जन्म दिवस की पूर्व संध्या में मुनि चैतन्य कुमार ‘अमन’ ने उपस्थित धर्मसभा में कहे।
मुनिश्री ने आगे कहा कि भगवान, गुरु और धर्म की चर्चा करने वाले तो भक्त बहुत मिलते हैं, उनकी चर्या पर ध्यान नहीं दिया जाता। उनके विचार को केवल जान कर नहीं बल्कि जीवन में अपनाने की आवश्यकता है। मुनिश्री ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ एक ऐसे गुरु थे जो तेरापंथ के आचार्य होते हुए भी समग्र मानव जीवन की कल्याण की कामना रखते थे। अतः उनके चरणों में समस्त राजनेता, समाजनेता, धर्मगुरु तथा आमजन पहुँचकर जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान पाने आते रहें। ऐसे महापुरुषों से सभी शिक्षाएँ प्राप्त करते रहें। इस अवसर पर राबड़ियाद ग्राम सरपंच मेघाराम बेनीवाल, सेवा मंदिर के अध्यक्ष रामलाल शर्मा, राधेश्याम सेन, चौथमल सैनी, अमरचंद बागरेचा, कमल बागरेचा, दीप सुराणा, आशीष सुराणा, कांत बागरेचा, मोनू सेन, सिद्धार्थ बागरेचा आदि लोग उपस्थित थे।