ओजस्वी आचार्य थे डालगणी
उज्जैन
साध्वी कीर्तिलता जी का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश डालगणी भवन, उज्जैन में हुआ। कन्या मंडल, महिला मंडल, तेयुप व सभा के सभी सदस्यों ने अपने-अपने गणवेश में पहुँचकर मंगल प्रवेश यात्रा की शोभा बढ़ाई। साध्वी कीर्तिलता जी ने अपने प्रवचन में संत महिमा का गुणगान करते हुए गुरु निर्देशानुसार चातुर्मास के क्षेत्र में पहुँचकर अपने आप को निर्भार बताया।
तेरापंथ के सप्तम आचार्य डालगणी की 169वीं जन्म जयंती भी साध्वीश्री जी के सान्निध्य में मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ महिलाओं के मंगल गीत से हुआ। साध्वी कीर्तिलता जी ने आचार्य डालगणी को एक अनोखे तेजस्वी, ओजस्वी, यशस्वी व निस्पृह आचार्य बताया।
साध्वी शांतिलता जी ने आचार्यश्री डालगणी को अनुशासनप्रिय बताया एवं श्रेष्ठप्रभा जी ने अपने संयोजकीय वक्तव्य में आचार्यश्री डालगणी को निर्भीक आचार्य बताया तथा साध्वी पूनमप्रभा जी ने गीत का संगान किया।
सभा अध्यक्ष विनोद पीपाड़ा, ईश्वर पटेल, कमल पीपाड़ा, मनीष पीपाड़ा, पारस आंचलिया, ॠषि पीपाड़ा इत्यादि भाइयों ने अपने-अपने विचार गीत आदि के माध्यम से प्रस्तुत किए।