चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
वल्लुपुरम
साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी ने विल्लुपुरम में चातुर्मासिक प्रवेश किया। विल्लुपुरम वासियों के उत्साह एवं उमंग आकाश को छूता हुआ-सा प्रतीत हुआ। जयघोषों एवं जुलूस के साथ साध्वीश्री जी ने सुसवाणी भवन में प्रवेश किया। साध्वीश्री जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ की गौरवमय मीनार की बुनियाद हैएक गुरु और एक विधान। परम श्रद्धेय गुरुदेव के निर्देश से हम अपने गंतव्य तक पहुँच गए। चातुर्मास अध्यात्म जागरण की प्रयोगशाला है। इसमें क्या-क्या करना है, इसका लक्ष्य बनाएँ।
साध्वी अनुप्रेक्षाश्री जी ने कहा कि यदि हमारे धार्मिक और अध्यात्मिक संस्कार मजबूत हो तो आधुनिकता हमें किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं कर सकती। साध्वी प्रबोधयशा जी ने भीतर के काँटों को निकाल, शांति का अनुभव करने की प्रेरणा दी। साध्वी सन्मतिप्रभा जी ने कहा कि हम इस चातुर्मास में अपने अध्यात्म रूपी वृक्ष का सिंचन करें, अपने समय का सदुपयोग कर अपने भविष्य को प्रकाशमय बनाना चाहिए। साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। मंजू सुराणा ने साध्वीश्री जी का परिचय दिया। साध्वीवृंद के मंगलमय स्वागत का प्रारंभ कन्या मंडल के मंगलाचरण द्वारा हुआ।
सभा के मंत्री राजेश सुराणा, सभाध्यक्ष जवरीलाल सुराणा, महिला मंडल अध्यक्षा राखी सुराणा, तेयुप मंत्री विशाल सुराणा, स्थानकवासी संप्रदाय के अध्यक्ष रिकबचंद बम्ब, मूर्तिपूजक अध्यक्ष राजेंद्र नाहर, वयोवृद्ध श्रावक इंदरचंद सुराणा आदि अनेक सदस्यगणों ने स्वागत भाषण में अपनी भावनाएँ प्रस्तुत की। स्थानीय एवं वलवनुर के ज्ञानशाला के बच्चों ने भी मनमोहक प्रस्तुति दी। चंदना चौपड़ा ने साध्वी अणिमाश्री जी द्वारा प्रेषित गीतिका का संगान किया। आभार ज्ञापन महेंद्र धोका ने किया एवं कार्यक्रम का संचालन समता सुराणा ने किया।