ज्ञान के महासागर थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

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ज्ञान के महासागर थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

विशाखापट्टनम्
कोठारी भवन में प्रेक्षा प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 103वाँ जन्म दिवस का कार्यक्रम मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ज्ञान के महासागर थे। मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने साहित्य की जो सुरसरिता प्रवाहित की वह विलक्षण है। तेरापंथ के साहित्य जगत में उनका अद्वितीय स्थान है। बालमुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने मानसिक एकाग्रता और योग साधना के आधार पर ज्ञान के सागर का अवगाहन किया ओर उसका मंथन कर अनुपम अमृत राशि प्राप्त की।
कार्यक्रम में महिला मंडल व ज्ञानशाला के बच्चों ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के जीवन पर नाटिका प्रस्तुत की। तेरापंथी सभा अध्यक्ष चंपालाल डूंगरवाल, तेममं की मंत्री जयश्री ललवानी, अभातेयुप की ओर से ऋषभ सुराणा, मीतू कोठारी, संदीप सेठिया, नरेन आंचलिया आदि ने विचार रखे। महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण और गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन सभा उपाध्यक्ष विनोद बैद ने किया। कार्यक्रम में अच्छी उपस्थिति रही।