चातुर्मासिक मंगल प्रवेश के आयोजन
जाटावास
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी का जैन धर्म के जयघोष के साथ जाटावास स्थित तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ। इससे पहले रातानाडा स्थित कुचेरिया भवन से गणवेश, जैन दुपट्टा पहने युवक, पुरुष व महिला जयघोष लगाते हुए चल रहे थे। महिला मंडल एवं तेयुप की ओर से उद्घोष, नारे व भजनों की प्रस्तुति दी गई। रैली में तेरापंथ सभा, तेयुप, महिला मंडल, किशोर मंडल, कन्या मंडल, अणुव्रत समिति आदि संस्थाओं के सदस्य शामिल हुए। रैली रातानाडा से नई सड़क, सोजती गेट, मोती चौक होते हुए तेरापंथ भवन पहुँची। जहाँ रैली सभा में परिवर्तित हुई। स्वागत के अवसर पर सभा सदस्यों द्वारा मंगलाचरण किया गया। श्रावक निष्ठा
पत्र का वाचन पूर्व मंत्री महेंद्र सुराणा ने किया। सभाध्यक्ष पन्नालाल कागोत, तेयुप अध्यक्ष मितेश जैन, महिला मंडल कार्यकारी अध्यक्ष मंजु सुराणा, मंत्री रीना जैन, ट्रस्टी सभा धनपतराज मेहता, महासभा उपाध्यक्ष विजयराज मेहता, अभातेयुप संगठन मंत्री श्रेयांस कोठारी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष सुधा भंसाली, घीसुलाल अब्बानी, सुरेंद्र समदड़िया आदि ने वक्तव्य, भाषण, कविता से स्वागत किया। तेयुप व महिला मंडल द्वारा सामुहिक गीतिका की प्रस्तुति हुई। साध्वी कुंथुश्री जी ने अपने मंगल पाथेय में कहा कि हमारे देश में संतों की अभ्यर्थना होती है, वंदना होती है, क्योंकि संत त्यागी होते हैं, परमार्थी होते हैं। चातुर्मास के अवसर पर अध्यात्म की सुवास
फैलाने आए हैं। हमारा सच्चा स्वागत अहिंसा के सुमनों से करें, अणुव्रत के संकल्पों से करें, त्याग-तपस्या की सुरभि फैलाएँ आत्मदर्शन करें, जिससे नई रश्मियाँ प्राप्त होंगी। साध्वी सुमंगलाश्री जी व साध्वी सुलभयशा जी ने कहा कि चातुर्मास में अपने भीतर में रहने का अभ्यास करना चाहिए। आभार सभा मंत्री दिलीप मालू व कार्यक्रम का संचालन उपाध्यक्ष महेंद्र मेहता ने किया।