आचार्यश्री महाप्रज्ञ: प्रज्ञा दिवस
नालासोपारा (मुंबई।)।
इंद्रपस्थ के प्रांगण में मनोहर गुंदेचा के निवास स्थान पर साध्वी प्रज्ञाश्री जी के द्वारा नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। कन्या मंडल ने गीतिका का संगान किया। तत्पश्चात तेयुप मंत्री द्वारा विरार, वसई एवं आसपास से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत किया। विरार के सभा अध्यक्ष रमेश हिंगड़ ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। साध्वी विनयप्रभाजी ने कहा कि बचपन से ही कोई महान नहीं होता। व्यक्ति अपने कर्मों से, अपने गुणों से महान होता है। उनमें से आचार्य महाप्रज्ञ भी एक नाम है। साध्वीश्री जी ने अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला एवं कविता के माध्यम से विचार व्यक्त किए।
तत्पश्चात साध्वी प्रतीकप्रभाजी ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 103वें जन्म दिवस के अवसर पर कहा कि इस युग के श्रेष्ठ दिव्य पुरुष के जीवन रूपी सागर से संभूत अमृत के समान महाप्रज्ञ जी ने सभी मानवों का अहिंसा के अमृत का पीयूष पान कराया। साध्वी सरलप्रभाजी ने कहा कि अध्यात्म जगत के हिमालय प्रज्ञा के महान-संग्रहालय, महान मनस्वी, प्रखर ध्यान तपस्वी, समर्पित, प्रबतबद्ध गुरु भक्ति थी, वर्चस्वी दृष्टिकोण था। साध्वीप्रज्ञाश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी घंटों-घंटों ध्यान में खड़े रहते, अध्यात्म व विज्ञान का मेल समझाया। इस अवसर पर वसई, विरार एवं आसपास के क्षेत्र से अच्छी उपस्थिति रही।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष लक्ष्मीलाल मेहता, कोषाध्यक्ष नरेंद्र सोलंकी, तेयुप अध्यक्ष किशन कोठारी, मंत्री दिनेश धाकड़, कोषाध्यक्ष मनोज सोलंकी एवं पूरे समाज से सराहनीय उपस्थिति एवं सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री अभातेयुप जैन संस्कारक पारस बाफना ने किया।