तेरापंथ स्थापना दिवस के विविध आयोजन
जोधपुर
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में सभा के तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन में 263वाँ तेरापंथ स्थापना दिवस मनाया गया। मंगलाचरण साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने भिक्षु अष्टकम् से किया। साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि आज गुरु पूर्णिमा का दिन है, गुरु का स्थान भगवान से ऊपर बताया गया है, भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि होता है, गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश कहा गया है। वे पथदर्शक होते हैं, अज्ञ तिमिर को नष्ट करके जन-जन को आलोकित करते हैं।
आज के दिन तेरापंथ धर्मसंघ को विलक्षण गुरु मिला था। उनका नाम था-आचार्य भिक्षु स्वामी, आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन तेरापंथ की स्थापना हुई। तेरापंथ का अर्थ है-हे प्रभो! यह तेरा पंथ। अहंकार एवं ममकार का विसर्जन का नाम है-तेरापंथ। साध्वी सुलभयशाजी, साध्वी संबोधयशा जी एवं साध्वी शिक्षाप्रभा जी ने सामुहिक रूप से सुमधुर गीत का संगान किया। साध्वी कंचनरेखा जी ने आचार्य भिक्षु के जीवन पर प्रकाश डाला। सभा के मंत्री दिलीप मालू ने भावभरा गीत प्रस्तुत किया तथा तेयुप के द्वारा गीत की सुंदर प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम का संचालन साध्वी सुमंगलाश्री जी ने किया। तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष मितेश जैन एवं उनकी टीम ने मंत्र दीक्षा एवं वीतराग पथ कार्यशाला के बैनर का विमोचन किया। रात्रि में धम्म जागरण का आयोजन भिक्षु संगीतमय कार्यक्रम से हुआ। संघगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।