समर्पण के श्लाका पुरुष थे आचार्य महाप्रज्ञ
कोटा।
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में बघेरवाल बिल्डिंग राजीव गांधी नगर में आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 103वाँ जन्म दिवस मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी का जीवन झरने की तरह निर्मल, पवित्र, गतिशील एवं उपयोगिता लिए हुए था, उनके हृदय में बालक जैसी सरलता थी। वे समर्पण के शलाका पुरुष थे।
साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जिनशासन के चमकते हुए सितारे थे। विनम्रता, सहजता, सरलता, समता के पर्याय थे। साध्वी सुधाप्रभाजी ने कहा कि ज्ञान की गंगोत्री, साधना की सरस्वती, लोक कल्याण के त्रिवेणी संगम का नाम ही आचार्य महाप्रज्ञ दर्शन जगत के बोधन्य विद्वान थे। साध्वी समत्वयशा जी ने सुरीले कंठ से स्वर लहरी प्रस्तुत की। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, योगी, मोनी, जपी, स्वाध्याय पुरुष थे। मुख्य अतिथि गुवाहाटी से समागत दिलीप दुगड़ ने कहा कि प्रज्ञा के महासूर्य आचार्य महाप्रज्ञ जी ने धर्मसंघ में नए आलेख लिखे।
सभा अध्यक्ष संजय बोथरा, सभा मंत्री धर्मचंद जैन, तेयुप मंत्री कमलेश जैन, महिला मंडल अध्यक्ष, उषा बाफना, वर्षा जैन, डॉ0 चेतना जैन, टीपीएफ अध्यक्ष अखिलेश कांठेड़, अणुव्रत समिति के मंत्री भूपेंद्र बरड़िया ने भावाभिव्यक्ति दी। तेयुप ने मंगल गीत का संगान किया। महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी।