अर्हम्
समणी संघप्रज्ञा
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम् अधिशास्ता ने आपको ‘प्रमुखा पद’ पर प्रतिष्ठित कर समण श्रेणी के गौरव को शतगुणित किया है। आप धर्मसंघ की नौवीं साध्वीप्रमुखा हैं, अंकशास्त्र में 9 का अंक अखंड माना जाता है जो आपके ज्ञान, दर्शन, चारित्र की अखंड आराधना का सूचक है, ‘रहो भीतर जीओ बाहर’ सूत्र आपके जीवन व्यवहार में स्पष्ट परिलक्षित होता है। ‘शुभ भाव में रहना’ आपका उपास्य सूत्र है तो ‘समभाव’ में रहना आपका प्रेरणा सूत्र है, समयज्ञता, गंभीरता, अप्रमत्तता, पापभीरूता आदि नैसर्गिक गुणों ने आपको हमेशा ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं, संघनिष्ठा, गुरुनिष्ठा, आज्ञानिष्ठा ने आपको सदैव संघ के सम्मानित पदों पर काम करने का अवसर दिया है, मेरे जीवन विकास में आपकी अहम् भूमिका रही है, जिसके लिए ‘कृतज्ञता’ शब्द बौना सा लगता है, मुझे मौन या मुखर आपसे सदैव प्रेरणा मिलती रही है, यह मेरा सौभाग्य है, आप इस महनीय पद पर दीर्घकाल तक सुशोभित होते हुए हमारा मार्गदर्शन करते रहें, यही अंतर्दिल की अभीप्सा है।