अर्हम्
अर्हम्
समणी हिमप्रज्ञा
वर्धापन की मंगल बेला में मंगल दीप जलाएँ।
नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखा को हम सब आज बधाएँ।
हे करुणावतार! करुणानिधे! सकल संघ है आपका आभारी।
युगानुरूप साध्वीप्रमुखा पाकर हर्षित है जनता सारी।
नव प्रमुखा विश्रुतविभाजी में हम कनकप्रभा साध्वीप्रमुखा के दर्शन पाए।
संघ शिखर पर चढ़ते जाओ, भावों का अर्घ्य चढ़ाएँ।
नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखा को हम सब आज बधाएँ।।
समण श्रेणी की प्रथम नियोजिका बनने का सौभाग्य आपने पाया।
साध्वीगण की प्रथम मुख्य नियोजिका बनने का गौरव भी आपने पाया।
लंबे अर्से तक समण श्रेणी का निर्माण करवाया।
समण श्रेणी है गुरुदेव की आभारी, प्रथम समणी स्मितप्रज्ञा को साध्वीप्रमुखा पद पर आसीन करवाया।
तेरापंथ जैन शासन की उत्तरोत्तर महिमा महकाएँ।
नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखा को हम आज बधाएँ।।
तुलसी का वरदहस्त है पाया महाप्रज्ञ का निकट सान्निध्य पाया।
गुरु महाश्रमण ने आपको शिखरों चढ़ाया।
गुरुत्रय की कृपा पाकर जीवन सरसब्ज बनाया।
महाप्रज्ञ ने कहा साहित्य शृंखला को जन-जन तक पहुँचाया।
आपके भाग्य की क्या गुण गरिमा गाएँ,
जन्म से ही आप भाग्य लेकर के आए।
नव निर्वाचित साध्वीप्रमुखा को हम आज बधाएँ।।
स्वाध्याय संघ सेवा में ही अनुरक्ति, जिन शासन में है गहरी भक्ति।
संघ विकास में लगे तव शक्ति। आरोग्ग बोहिलाभं का वरण करो मंगल भाव सजाएँ।
हम सभी की साधना बढ़ती जाए, ऐसा वरदान आप दिलाएँ।
नव निर्वाचित साध्वीप्रमुखा को हम सब आज बधाएँ।।
गुरु दृष्टि इंगित आराधना से नव इतिहास रचाएँ।
शक्ति और साहस से लिखे आप नई ऋचाएँ।
अविराम गति से बढ़ते जाएँ, जैन धर्म का परचम फहराएँ।
नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखा को हम सब आज बधाएँ।।