अवबोध
ु मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’ ु
(2) दर्शन (सम्यक्त्व) मार्ग
प्रश्न-6 : इन पाँचों का स्वरूप क्या है?
उत्तर : उपरोक्त मोहनीय कर्म की सात प्रकृतियों के उपशमन से औपशमिक, सर्वथा क्षय से क्षायिक एवं क्षयोपशम से प्राप्त सम्यक्त्व क्षायोपशमिक कहलाती है। औपशमिक सम्यक्त्व से गिरने वाला जीव मिथ्यात्व की ओर अग्रसर हो रहा है, उस समय की सम्यक्त्व को सास्वादन सम्यक्त्व कहते हैं।
क्षायक सम्यक्त्व की प्राप्ति जब क्षायोपशमिक सम्यक्त्व से होती है, उसके अंतिम समय में सातों प्रकृतियाँ प्रदेशोदय के रूप में अनुभूत होती हैं, उसे वेदक सम्यक्त्व कहते हैं। वैसे यह क्षायोपशमिक सम्यक्त्व का अंतिम समय है।