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अर्हम्
समणी अक्षयप्रज्ञा
आचार्यत्रय द्वारा तराशे गए व्यक्तित्व की अभिवंदना।
श्रद्धेया साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी का जीवन अनेक विरल विशेषताओं का समवाय है। आपकी पवित्र चरित्र संपनन्नता अप्रमत्तता, अद्भुत संयम चेतना, अध्यात्म चेतना, विशिष्ट सहिष्णुता, विनम्रता, अनुपम समता, अनूठी गोपनीयता, उत्कृष्ट मर्यादा निष्ठा, नीतिनिष्ठा, आचारनिष्ठा, श्रम निष्ठा विलक्षण प्रशासन कौशल आदि अनेक विशेष गुणों की अभिवंदना कर गौरव की अनुभूति कर रहे हैं। सफलता के शिखर पर आपका आरोहण एकमात्र आपकी साधना व संतता का सुफल है।
आपका जीवन अनुभवों का जीता-जागता खजाना है। आचार्यत्रय के आभावलय एवं सन्निधि में रहकर आपने विविध मुखी बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किए हैं। आचार्य महाप्रज्ञ के शासन काल में प्राप्त अनुभवों की थाती भी आपके पास है। उन अनुभवों का उपयोग एवं प्रयोग संघ की गौरववृद्धि एवं विभिन्न समस्याओं के समाधान में सहायक सिद्ध हो, ऐसी हमारी आंतरिक अभिलाषा है। पूज्यप्रवर के आशीर्वाद और आपके आध्यात्मिक नेतृत्व में हम चित्त समाधिपूर्वक अपनी जीवनयात्रा को निर्बाध गति से गतिशील बनाती हुई आपके सफल, सुखद व शुभ भविष्य की मंगलकामना करती है। आप चिरायु हो, स्वस्थायु हो, निरामय रहते हुए धर्मसंघ को प्रलंब काल तक अध्यात्म की ऊँचाइयाँ प्रदान करते रहें।