चातुर्मास में करें आत्मविकास

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चातुर्मास में करें आत्मविकास

मैसूर
साध्वी मंगलप्रज्ञा जी का तेरापंथ भवन में जुलूस के साथ चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ। मानव जाति के लिए अहिंसा सबसे बड़ा मंगल है। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि आज गुरुदेव के आज्ञानुसार हमारा चातुर्मासिक स्थान पर प्रवेश हुआ। इसलिए आनंद की अनुभूति हो रही है। भगवान महावीर का मंगल संदेश लेकर हमारा आगमन हुआ है। अहिंसा सबसे बड़ा मंगल है। संयम, तप, त्याग और ज्ञान का मंगल कलश लेकर हम यहाँ आए हैं। चातुर्मास में आत्मविकास के लिए विशेष प्रयोग आवश्यक है।
साध्वीवृंद के मंगल स्तुति से कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। ज्ञानशाला के बच्चों ने भावपूर्ण मनमोहक प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभा अध्यक्ष शांतिलाल कटारिया, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष शांतिलाल नौलखा, तेयुप अध्यक्ष दिनेश दक, महिला मंडल अध्यक्षा मंजु दक, गांधीनगर बैंगलुरु के सभाध्यक्ष सुरेश दक, विजयनगर तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष राकेश दुधोड़िया ने मंगलभावनाएँ प्रस्तुत की।
अलका बैंगानी और ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कन्या मंडल, किशोर मंडल, तेयुप, तेरापंथ सभा, महिला मंडल के सामुहिक संगान से तेरापंथ भवन स्वागतमय बन गया। साध्वी अणिमाश्री जी ने अपनी अनुजा मंगलप्रज्ञा जी के प्रति शुभकामना प्रेषित की, जिसका वाचन चेन्‍नई से अशोक बोकड़िया ने किया और सोनल पीपाड़ा ने गीतिका से स्वागत किया। साध्वी सिद्धियशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी, साध्वी चैतन्यप्रभा जी एवं साध्वी शौर्यप्रभा जी ने सामुहिक महाश्रमण मोल की भव्य व आकर्षण प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर श्रीरंगपटना एचडी कोटे मंड्या आदि क्षेत्रों से श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही। इस अवसर पर तपस्विनी बहन नोरती बाई देरासरिया ने 21 की तपस्या कर साध्वीश्री जी का अभिनंदन किया। आदिश्‍वर वाटिका से स्थानकवासी संप्रदाय के अध्यक्ष रमेश श्रीश्रीमाल ने अपने विचार व्यक्‍त किए। आदिश्‍वर वाटिका के मंत्री गौतम सालेचा, भोजराज जैन, मोहनलाल जैन, कांतिलाल जैन ने भी अपनी सहभागिता दर्ज कराई। कार्यक्रम का संचालन करते हुए सुरेश पितलिया ने मधुर संगीत के द्वारा वातावरण को सुरम्य बना दिया। आभार तेरापंथ सभा के मंत्री अशोक दक ने किया।