तेरापंथ स्थापना दिवस के आयोजन

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तेरापंथ स्थापना दिवस के आयोजन

रोहिणी, दिल्ली
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ0 कुंदनरेखाजी के सान्निध्य में 263वाँ तेरापंथ स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी डॉ0 कुंदनरेखा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ जैन धर्म एवं अध्यात्म संस्कृति का नया अध्याय है। तेरापंथ आचार्य भिक्षु के सपनों का आकार है। मर्यादा और अनुशासन से आबद्ध एक आचार्य के निर्देशन में नित नई आध्यात्मिक गति-प्रगति करने वाला अभिलेख हैµतेरापंथ। आचार्य भिक्षु ने ऐसे समय में इसकी नींव रखी, जो आज भी आत्मसाधकों को शरण देता है। आचार्य महाप्रज्ञ के अनुसार अहंकार, ममकार विसर्जन की प्रयोगशाला हैµतेरापंथ। साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा कि स्वामी जी ने कष्टों के बीहड़ पथ पर चलकर अध्यात्म का आलोक प्राप्त किया और उसे दुनिया के सामने बाँटा। उन्होंने महत्त्वाकांक्षा, आचरणहीनता, पदलिप्सा, असहिष्णुता एवं आग्रह वृत्ति जैसी दुर्बलताओं को जानकर तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादाओं का सूत्रपात किया, जो आज प्रत्येक साधक का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
कार्यक्रम में रोहिणी तेरापंथी सभा के अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि आचार्य भिक्षु सत्य अन्वेषक थे। कष्टों की परवाह किए बिना उन्होंने भगवान महावीर की वाणी का अमृतपान किया। तेममं की बहनों ने चातुर्मास में कार्य करने हेतु एक सिम्पोजियम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण से हुआ। महिला मंडल की बहनों ने सामुहिक गीत का संगान किया। इस कार्यक्रम में आचार्य भिक्षु ओपन प्रश्न मंच का आयोजन किया गया। प्रथम, द्वितीय, तृतीय बहनों को तेरापंथी सभा, रोहिणी द्वारा पुरस्कार दिया गया तथा अन्य सभी को सांत्वना पुरस्कार भी दिया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी कर्तव्ययशा जी ने किया।