अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

धर्म बोध

दान धर्म

प्रश्न 18 : करने, कराने व अनुमोदन करने वाले तीनों व्यक्ति पृथक्-पृथक् हों, तो क्या धर्म व अधर्म दोनों प्रवृत्तियाँ उनमें संभव हैं?
उत्तर : पृथक्-पृथक् व्यक्तियों द्वारा होने वाली उपरोक्त तीनों प्रवृत्तियाँ एक ही प्रक्रिया का अंग हैं। सामायिक करना धर्म है, तो उसे कराने या उसका अनुमोदन करने वाले व्यक्तियों को भी धर्म होगा। हिंसा करना पाप है, तो उसे उत्प्रेरित करने वाले या अनुमोदन करने वालों को भी पाप होगा।

प्रश्न 19 : असंयमी का खाना-पीना आदि क्रियाएँ पाप हैं, पर उनको खिलाने आदि की प्रेरणा या व्यवस्था करने वालों को क्या धर्म नहीं हो सकता?
उत्तर : जिस व्यक्ति के खाने-पीने में धर्म व पुण्य नहीं होता, उसको देने में धर्म कैसे हो सकता है? खाने में यदि पाप है, तो खिलाने में भी पाप है। तीनों करण समान चलते हैं।
(क्रमशः)