एक दिवसीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर

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एक दिवसीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर

उदयपुर।
तेरापंथी सभा द्वारा शासनश्री मुनि सुरेश कुमार जी के सान्निध्य में एक दिवसीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। जिसमें उदयपुर, गोगुंदा एवं राविलया कला में अध्यापन करवा रही प्रशिक्षिकाओं के साथ पूर्व में ज्ञानशाला में कार्यरत प्रशिक्षिकाओं सहित कुल 55 प्रशिक्षिकाओं ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र: शिविर नमस्कार महामंत्रोच्चार व ज्ञानशाला प्रेरणा गीत से शुरू हुआ।
बच्चों में संस्कारों का निर्माण की पहली पाठशाला है माँ और दूसरी सीढ़ी है ज्ञानशाला। नन्हीं पीढ़ी में त्याग और संयम के प्रति आस्था पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती है। धर्म और धार्मिक आस्थाओं को बदलने के मिशन पर ढेरों कदम चल पड़े हैं। ऐसे में ज्ञानशाला टूटते-बिखरते संस्कारों की रक्षा का ब्रह्मास्त्र है। ज्ञानशाला स्थानीय संरक्षक फतहलाल जैन ने स्वागत किया। सभाध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने उदयपुर के ज्ञानशाला के इतिहास के पृष्ठों को पलटते हुए शिविर की सफलता की शुभकामनाएँ दी। ज्ञानशाला संयोजिका सुनीता बैंगानी ने स्थानीय ज्ञानशाला की अवगति देते हुए शिविर के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। द्वितीय सत्र: मुनि संबोध कुमार जी ने कहा कि इस दौर में बच्चे बहुत प्रेक्टिकल हैं, उन्हें उनके तौर-तरीकों से ट्रेंड करना होगा। प्रशिक्षक कुछ ऐसा व्यवहार करें कि सभी बच्चों को उनके नाम याद रहें।
खुले प्रश्न मंच में मुनिश्री ने प्रशिक्षिकाओं के प्रश्नों का समाधान प्रदान किया। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं के परिचय के साथ अध्यक्ष ने प्रशिक्षिकाओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया। मुख्य अतिथि डॉ0 एल0एल0 धाकड़ ने आध्यात्मिक विकास में नई तकनीक का प्रयोग विषय पर बोलते हुए कहा कि अब किताबी शिक्षा काफी नहीं है, हमें जरूरत है ऐसी तकनीक की जो किताबों के बिना भी अध्यात्म की शिक्षाओं को मज्जा में रमा दे। प्रत्येक व्यक्ति में निर्मलता, सहजता, सरलता होनी चाहिए।
आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने के लिए ज्ञानशाला श्रेष्ठ उपक्रम है। प्रेक्षा प्रशिक्षक चंद्र प्रकाश पोरवाल ने बताया कि हारमोंस का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। चैतन्य केंद्र पर किस प्रकार ध्यान कर हम अपने भावों में परिवर्तन ला सकते हैं। लेश्या और भाव के बारे में बोलते हुए चैतन्य केंद्र प्रेक्षा का प्रयोग करवाया। वरिष्ठ प्रशिक्षिका सुशीला बरड़िया ने ज्ञानशाला को सहयोग राशि प्रदान की। मंच संचालन सहसंयोजिका सीमा बाबेल ने किया। आभार ज्ञापन सह-संयोजिका सुनीता नंदावत ने किया।