चातुर्मास में करे आध्यात्मिक विकास
कांटाबांजी।
मुनि प्रशांत कुमार जी एवं उनके सहवर्ती मुनि कुमुद कुमार जी का कांटाबांजी तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ। मुनिश्री प्रशांत कुमार जी ने कहा कि जीवन में मंगल का बड़ा महत्त्व होता है। अरिहंत, सिद्ध, साधु मंगलमय होते हैं। वे धर्म के प्रतीक होते हैं। संतों के पास जाएँ तब नम्र बनकर जाएँ। नम्र बनने वाला ही ऊँचा उठता है। मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि संतों का आगमन सोई चेतना को जगाने वाला होता है। चातुर्मास केवल बड़े-बड़े आयोजनों से ही सफल नहीं होता। संतों के चातुर्मास में तप, त्याग आदि आध्यात्मिक साधना चलनी चाहिए। कांटाबांजी सभा, तेयुप, महिला मंडल, किशोर मंडल, कन्या मंडल का उत्साह साधुवाद का पात्र है।
कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। सभा अध्यक्ष युवराज जैन ने स्वागत भाषण एवं मुनिवृंद का परिचय प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने नाटिका की प्रस्तुति दी। मुनि ज्ञानेंद्र कुमार जी के मंगल संदेश का वाचन अजय जैन ने किया। आचार्यश्री महाश्रमण जी के संदेश का वाचन सभा मंत्री सुमित जैन ने किया। आभार ज्ञापन तेयुप प्रभारी विकास जैन ने किया। कार्यक्रम का संयोजन सभा मंत्री सुमित जैन ने किया।