मंत्र दीक्षा एवं वीतराग पथ कार्यशाला के आयोजन
भीलवाड़ा
तेरापंथ भवन में डॉ0 साध्वी परमयशाजी के सान्निध्य में मंत्र दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित हुआ। डॉ0 साध्वी परमयशाजी ने कहा कि नमस्कार महामंत्र अचिन्तय शक्ति संपन्न है। यह चौदह पूर्वों का सार है। पूर्व या उत्तर दिशा में मुँह करके जप करना चाहिए। दुनिया में अनेक प्रकार के मंत्र हैं, जो किसी इष्ट की प्राप्ति के प्रतीक हैं। नवकार मंत्र नहीं यह महामंत्र हैं। यह मंत्र किसी माँग के साथ शुरू नहीं होता । यह जीव जगत की चाहों को निःशेष करता है। भले ही यह नवपद छोटा सा है। पाँच पद और पैंतीस अक्षरों वाला है। यह शिवपद जैसा महापद देने की इसमें ताकत है। तब भला इसे कोई क्यों नहीं जपेगा। यह पंच नमस्कार महामंत्र सब पापों का नाश करता है।
आपने ज्ञानशाला के बच्चों को मंत्र दीक्षा स्वीकार करवाई और कहा कि प्रतिदिन 27 बार नवकार मंत्र बोलना चाहिए और नियम दिलवाए तथा प्रेरणा दी कि इन नियमों का पालन करना है। साध्वी विनम्रयशाजी ने एक प्रेरक घटना के माध्यम से ज्ञानशाला के बच्चों को अद्भुत प्रेरणा दी। आरकेआरसी ज्ञानशाला और नागौरी गार्डन की ज्ञानशाला ने बहुत ही रोचक प्रस्तुति प्रदान की। डॉ0 साध्वी परमयशाजी, साध्वी विनम्रयशाजी, साध्वी मुक्ताप्रभाजी और साध्वी कुमुदप्रभाजी ने नवकार का महत्त्व बताते हुए बहुत ही रोचक प्रस्तुति प्रदान की। कार्यक्रम में सुमन लोढ़ा, तेयुप अध्यक्ष कमलेश सिरोहिया, निष्ठा गांधी, दक्ष बड़ोला, दीपांशु झाबक, संदीप बोरड़िया, लक्ष्मीलाल झाबक ने भी मंत्र दीक्षा पर अपनी भावों की अभिव्यक्ति, गीत, वक्तव्य के माध्यम से दी।