माँ का सम्मान संस्कृति का सम्मान है

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माँ का सम्मान संस्कृति का सम्मान है

कटक, उड़ीसा।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा ‘माँ-बेटी शिविर’ का आयोजन तेरापंथ भवन में किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमाँ कहते हैं। जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं। माँ शक्ति है, भक्ति है, अभिव्यक्ति है। माँ के उपकार को कभी नहीं भूलना चाहिए। बेटी माँ की बात माने और माँ बेटी को सही राह दिखाए। माँ बेटी के विचारों व भावनाओं का भी सम्मान करे। बेटी माँ के प्रति सहयोग भावना का विकास करें।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा कि माँ एक ऐसा शब्द है, जिससे इंसान अपना रिश्ता शुरू करता है। माँ शिक्षिका है, विद्यालय है। माँ का दिल दरियादिल होता है। बेटी घर-परिवार की शान है। कार्यक्रम का शुभारंभ पूजा चोरड़िया के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा हीरा बैद ने किया। शिविर में लगभग 80 से अधिक माँ-बेटियाँ सम्मिलित हुई।